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अखिल भारतवर्षीय दिगंबर जैन गोलापूर्व महासभा की संस्कार पत्रिका 2024 के लिए  प्रविष्टि फॉर्म ऑनलाइन एवं ऑफलाइन के माध्यम से भरे जा रहे  है , अंतिम तिथि 15 सितंबर 2024 तय की गई  हैं, विलम्ब शुल्क ₹100 अतिरिक्त के साथ 20 सितंबर 2024 तक  प्रविष्टियां जमा की जा सकती है। साथ ही प्रति वर्ष आयोजित होने वाला बहु प्रीतिक्षित (20 वा )परिचय सम्मेलन, आगामी  19 एवं 20अक्टूबर 2024 धर्म नगरी कोतमा में  भव्य  आयोजित होने जा रहा है आप सभी समाजजन सपरिवार सादर आमंत्रित है,

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अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन गोलापूर्व महासभा

भरत क्षेत्र में अवसर्पिणी काल के तीसरे सुखमा दुखमा काल के अंत समय में भोगभूमि का अवसान और कर्म भूमि के प्रादुर्भाव काल में चौदह कुलकरो में अंतिम कुलकर नाभिराय-मरुदेवी के प्रथम तीर्थकर ऋषभनाथ हुए । भगवान ऋषभ देव ने कर्म भूमि के प्रारम्भ में जहाँ असि, मसि, कृषि, शिल्प, विद्या और वाणिज्य आदि षट्कर्म का उपदेश दिया और कर्म के आधार पर क्षत्रिय, वैश्य और षूद्व वर्ण की स्थापना की। वही सामाजिक व्यवस्था को व्यवस्थित बनाने के लिए सोमवंश, उग्रवंश और नाथवंश आदि वंशो की स्थापना की। आप स्वयं इक्ष्वाकुवंशी कहलाये। इन्ही वंशो का आगे विस्तार होता गया और उनके वंशो का उद्भव होता गया। 

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गोलापूर्व जैन त्रैमासिक पत्रिका

आगामी कार्यक्रम

अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन गोलापूर्व महासभा में सदस्य के रूप में आपका स्वागत है