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अखिल भारतवर्षीय दिगंबर जैन गोलापूर्व महासभा के द्वारा ऑनलाइन के माध्यम से जनगणना का कार्य निरंतर जारी है,अभी तक जिन भी समाजजनों ने अपने परिवारों की जनगणना में एंट्री नहीं की है ,वह अति शीघ्र इस कार्य को संपन्न अवश्य करें

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अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन गोलापूर्व महासभा

भरत क्षेत्र में अवसर्पिणी काल के तीसरे सुखमा दुखमा काल के अंत समय में भोगभूमि का अवसान और कर्म भूमि के प्रादुर्भाव काल में चौदह कुलकरो में अंतिम कुलकर नाभिराय-मरुदेवी के प्रथम तीर्थकर ऋषभनाथ हुए । भगवान ऋषभ देव ने कर्म भूमि के प्रारम्भ में जहाँ असि, मसि, कृषि, शिल्प, विद्या और वाणिज्य आदि षट्कर्म का उपदेश दिया और कर्म के आधार पर क्षत्रिय, वैश्य और षूद्व वर्ण की स्थापना की। वही सामाजिक व्यवस्था को व्यवस्थित बनाने के लिए सोमवंश, उग्रवंश और नाथवंश आदि वंशो की स्थापना की। आप स्वयं इक्ष्वाकुवंशी कहलाये। इन्ही वंशो का आगे विस्तार होता गया और उनके वंशो का उद्भव होता गया। 

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गोलापूर्व जैन त्रैमासिक पत्रिका

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